Cryptocurrency Investment Tips: पिछले दो साल में भारत सहित दुनियाभर में क्रिप्टोकरेंसी (Cryptocurrency) की काफी अधिक चर्चा देखने को मिली. बड़े बिजनेस लीडर्स से लेकर आम लोग तक इसकी बात करते हैं. हालांकि, निवेशकों और खासकर रिटेल इंवेस्टर्स में इस बात को लेकर काफी अधिक दिलचस्पी है कि क्रिप्टोकरेंसी में निवेश कितना सुरक्षित है |
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June 10, 2022
क्रिप्टोकरेंसी में निवेश कितना सुरक्षित है? कितना है प्रॉफिट और क्या हैं रिस्क?
July 30, 2021
ब्लॉकचेन: लेखांकन का भविष्य ?
मुझे पता है कि आप सोच रहे होंगे कि ब्लॉकचेन क्या है? क्या यह लेखांकन का भविष्य होगा? इसलिए ब्लॉकचेन की अवधारणा का वर्णन 90 के दशक में किया गया था जब इंटरनेट का उपयोग तेज़ी से बढ़ रहा था। इस तकनीक के बारे में पड़ने के बाद मुझें 4 बातें पता चली।
- 90 के दशक की शुरुआत में ब्लॉकचेन अपने विकास की ओर अग्रसर था।
- ब्लॉकचेन सरल लगता है, लेकिन वास्तव में यह बहुत जटिल है।
- जिस तरह इंटरनेट ने हमारी जीवनशेली बदली हैं, ठीक उसी प्रकार ब्लॉकचेन तकनीक में हमारे जीवन को बदलने की शक्ति हैं।
- पहले ब्लॉकचेन को BITCOIN समझा जाता था।
ब्लॉकचेन क्या है, ईसे समझने
के लिए पहले हमें अपनी वर्तमान लेखा प्रणाली को समझना होगा।
दोहरी लेखा प्रणाली
लुका
पसिओली, जो आधुनिक
लेखांकन के जनक है, उन्होंने दोहरी
लेखा प्रणाली की अवधारणा को सबसे पहले प्रकाशित किया। जिसे हम
आज के आधुनिक युग में इसका उपयोग हिसाब-किताब रखने के लिए करते है।
आइए
एक उधाहरण से ईसे समझते हैं, यदि दिल्ली
से श्रीमान भूपेश चेक (cheque) जारी
करके मुंबई में श्रीमान तरुण को धन हस्तांतरित करना चाहते हैं। तो यह लेनदेन 4 अलग-अलग बहिखातों (Books of Accounts) में
रिकोर्ड किया जाएगा। श्रीमान भूपेश,
श्रीमान तरुण, बैंक ऑफ
श्रीमान भूपेश और बैंक ऑफ श्रीमान तरुण की पुस्तकों में (Books of Accounts) इन
सबकी प्रविष्टियाँ (journal entries) होंगी।
इसी तरह से बेंको, कंपनियो और व्यक्तियों के बीच अलग-अलग बहुत से लेनदेन होते हैं, और इन सब में कई बहिखाते (Ledgers) और प्रविष्टियाँ (journal entries) होती हैं।
इन सभी खाता बहियों (Ledgers) को सुलह (Reconcile) करने के लिए बहुत कठिनाइयाँ आती हैं और इसमें समय के साथ-साथ धन भी लगता हैं।
अब
प्रश्न आता हैं, हम किसके
बहिखातों पर भरोसा करे। कई बार
यह दोहरी लेखा प्रणाली (Double Entry System) फेल
हो चुकी हैं। जैसे कि
आप देख सकते हैं, सत्यम स्कैंडल,
एनरॉन स्कैंडल और पंजाब नैशनल बैंक स्कैंडल आदि।
इन सभी स्कैंडलस से बचाव के लिए आता है ब्लॉकचेन।
ब्लॉकचेन का
इथिहास
स्टूअर्ट हेबर और स्कॉट स्टोरन्नेता दोनों मिलकर एक ऐसी प्रणाली विकसित करना चाहते थे कि दस्तावेज़ो (documents) को
टेम्पर्ड, ख़राब या छेड़छाड़ नहीं किया जा सके और इसलिए उन्होंने इस प्रणाली (Blockchain) को
बनाया, लेकिन पहले
ब्लॉकचेन की अवधारणा को 2008 में एक व्यक्ति सतोशी नाकमोटो द्वारा बिटकॉइन (BITCOIN) के
रूप में की गयी थीं।
ब्लॉकचेन क्या
हैं?
अब
कल्पना करे कि आप Excel sheet में
परिवर्तन करने के लिये फ़ाइल अपने मित्र को भेजते हैं। अब समस्या
यह है कि आपको तब तक इंतेजार करना पड़ेगा जब तक आपका मित्र फ़ाइल में कोई परिवर्तन नहीं करता और आपको संशोधित फ़ाइल नहीं भेजता। दोनो एक
साथ एक ही फ़ाइल पर काम नहीं कर सकते। इसके साथ
ही एक और बड़ी समस्या डूप्लिकेट फ़ाइल (Duplicacy) की आती हैं। इस समस्या
को ब्लॉकचेन दूर कर सकता हैं। ब्लॉकचेन में
आप दोनो एक साथ बदलाव कर सकते हैं और कोई भी डूप्लिकेट फ़ाइल नहीं बनेगी।
इसे
और अच्छे से समझने के लिए, आइए श्रीमान
भूपेश का वही उधारण लेते हैं जो श्रीमान तरुण को पैसा ट्रान्स्फ़र करना चाहते थे। दोहरी लेखा
प्रणाली में, श्रीमान भूपेश,
श्रीमान तरुण, बैंक ऑफ
श्रीमान भूपेश और बैंक ऑफ श्रीमान तरुण अपने-अपने बहिखातों (Ledgers) में
प्रविष्टि (Journal Entry) करते
हैं और इसका बाद में सामंजस्य किया जाता है। ब्लॉकचेन प्रणाली
में कोई 4 अलग-अलग बहिखाते नहीं होंगे और न ही सामंजस्य (Reconciliation) की
आवश्यकता होती हैं।
चूंकि ब्लॉकचेन में केवल एक साव्रत्रिक बहिखाता (Universal Ledger) होगा और लेन-देन के सभी पक्षों को केवल लेन-देनों को प्रमाणित करना होगा। इसका मतलब यह है कि, इस प्रणाली में अलग-अलग बहिखाते रखने की, सामंजस्य करने की ज़रूरत नहीं हैं। इससे सभी पक्षों के बीच संयुक्त विश्वास बनेगा, जैसा कि दोहरी लेखा प्रणाली में संभव नहीं हैं।
ब्लॉकचेन प्रणाली में शुरुआत से लेकर अंत तक पूरे लेन-देन का पता लगाया जा सकता हैं क्योंकि सभी लेन-देन आपस में एक साथ जुड़े हुए हैं। और यदि कोई पक्ष या व्यक्ति किसी एक लेन-देन में हैक या शरारत या बदलाव करने की कोशिश करता हैं तो एक शृंखला का पूरा ब्लॉक प्रभावित होगा। इस ब्लॉकचेन प्रणाली का फ़ायदा यह है कि यह पूरे लेन-देन में सभी पक्षों के बीच विश्वास पैदा करता हैं।
ब्लॉकचेन टेक्नॉलजी केवल एक शेत्र के लिए ही उपयोगी नहीं हैं बल्कि अनेक शेत्रों में इसे इस्तेमाल किया जा सकता हैं। यह एक
वितरित लेज़र प्रणाली हैं जिसे हम वित्तीय लेन-देन से लेकर मेडिकल रिकोर्ड या भूमि के शीर्षक तक, किसी भी
मूल्य के रिकोर्ड को ट्रैक किया जा सकता हैं।
आप
सोच रहे होंगे कि डेटा को ट्रैक करने के लिए तो हमारे पास पहले से ही बहुत सी तकनीक उपलब्ध हैं, फिर ब्लॉकचेन के बारे में क्या ख़ास बात हैं?
आइए उन कारणों को जानते हैं जिसकी वजह से ब्लॉकचेन तकनीक सभी प्रकार के लेन-देनों में क्रांतिकारी बदलाव ला सकती हैं
जिस तरह से यह डेटा को ट्रैक और स्टोर करता हैं
ब्लॉकचेन तकनीक जानकारी को बैचों (Batches) में संग्रहीत करता हैं, जिसे ब्लॉक (Block) कहा जाता हैं, जो एक कालानुक्रमिक (Chronological) तरीक़े से आपस में एक साथ जुड़े हुए हैं ताकि एक सतत रेखा (Continuous line) बन सके: ब्लॉक की एक श्र्र्नखला।
यदि
कोई व्यक्ति किसी ब्लॉक में दर्ज की गयी जानकारी में कोई परिवर्तन करता है तो, इस प्रणाली
में वह व्यक्ति फिर से नहीं लिख सकता, बल्कि एक
नए ब्लॉक में परिवर्तन को संग्रहित किया जाता हैं, जो यह
दर्शता है कि किसी विशेष व्यक्ति ने एक विशेष तिथि और समय को बदलाव किया हैं।
ऐसा
इसलिए क्योंकि ब्लॉकचेन तकनीक सामान्य वित्तीय खाता बही की सदियों पुरानी पद्धति पर आधारित हैं। इस तकनीक
से समय के साथ डेटा परिवर्तनों को ट्रैक करने का सही तरीक़ा हैं। जैसे की
एक उधाहरण, राम और
उनके भाई श्याम के बीच इस बात को लेकर विवाद था कि उनके परिवार में सालों से ज़मीन का मालिकाना हक़ किसके पास हैं।
चूँकि
ब्लॉकचेन तकनीक लेज़र पद्धति का उपयोग करती हैं, इसलिए लेज़र
में एक प्रविष्टि है जो दर्शाती है की 1950 में सम्पत्ति का स्वामित्व मोहन के पास था। जब मोहन
ने 1990 में यह सम्पत्ति किरण को बेची, तो खाता
बही में एक नई प्रविष्टि की गयी, और इसी
प्रकार सभी लेन-देनों में रिकोर्ड किया जाता हैं।
इस
सम्पत्ति के स्वामित्व के प्रत्येक परिवर्तन को बहिखातों में एक नई प्रविष्टी द्वारा दर्शाया जाता हैं, जब तक
कि राम ने इसे 2020 में अपने पिता से नहीं ख़रीद लेता। राम जो
कि वर्तमान मालिक हैं, इसे हम
बहिखातों में देख सकते हैं।
अब
दिलचस्प बात यह है कि, सदियों पुरानी
लेज़र पद्धति के विपरीत, ब्लॉकचेन को
कंप्यूटर के एक बड़े नेट्वर्क में विकेंद्रीक्रत (decentralized) और
वितरित (distributed) करने
के लिए इस तकनीक को डिज़ाइन किया गया हैं।
सूचना का यह विकेंद्रीकरण डेटा से छेड़छाड़ की क्षमता को कम करता हैं, और यही कारण है कि ब्लॉकचेन तकनीक पर विश्वास किया जा सकता हैं।
डेटा में विश्वास पैदा करना
इससे पहले कि किसी ब्लॉक को शृंखला में जोड़ा जा सके, निम्न प्रक्रिया ब्लॉक में होतीं हैं।
- एक क्रिपटोग्राफ़िक puzzle को हल किया जाता है, जिससे ब्लॉक बनता हैं।
- Puzzle को हल करने वाला कंप्यूटर नेटवर्क के अन्य सभी कम्प्यूटरों के साथ समाधान साझा करता हैं, इसे कार्य का प्रमाण (proof-of-work) कहा जाता हैं।
- नेटवर्क इस (proof-of-work) को सात्यापित करता हैं और यदि यह सही हैं, तो इसे ब्लॉक की शृंखला में जोड़ दिया जाता हैं।
इन जटिल गणितीय पहेलियों का संयोजन (combination) और अनेक कम्प्यूटरों द्वारा इनका सत्यापन करना यह दर्शाता है कि शृंखला के प्रत्येक ब्लॉक पर हम पूरा भरोसा कर सकते हैं। यह नेटवर्क विश्वास निर्माण का कार्य करता हैं।
कोई मध्यस्थ का न होना
वर्तमान में एक दूसरे के साथ व्यापार करते समय, हम अपने वित्तीय या व्यावसायिक रिकोर्ड नहीं दिखाते हैं। इसके बजाय, हम विश्वसनीय बिचौलियों जैसे बैंक या वकील के ज़रिए हम अपने रिकोर्ड और जानकारी को गोपनीय रखते हैं।
ये बिचौलिये दोनों पक्षों के बीच विश्वास बनाए रखते हैं, और रिकोर्डस को सत्यापित करने का काम करते हैं। उधाहरण के लिए, हाँ राम ही इस भूमि का असली मालिक हैं। यह कहना जोकिम भरा नही है की भूमि का असली मालिकाना हक़ को सत्यापित करने में समय और पैसा दोनों खर्च करना पड़ सकता हैं। यदि राम की ज़मीन के मालिकाना हक़ की जानकारी ब्लॉकचेन में संग्रहीत की जाती तो, राम को बिचौलियों की ज़रूरत नहीं पड़ती, जो केवल श्याम के साथ उसकी जानकारी की पुष्टि करते हैं ।
जैसा कि अब हम जानते हैं कि, सभी ब्लॉक्स को श्रंखला (Chain) में जोड़ दिया गया हैं और सत्यापित कर दिए गये हैं और अब इनके साथ छेड़छाड़ नहीं की जा सकती हैं।
तो अब राम ब्लॉकचेन पर सुरक्षित अपनी ज़मीन के मालिकाना हक़ की जानकारी श्याम को आसानी से दिखा सकता हैं। राम बिचौलियों को काटकर काफ़ी समय और पैसा बचा सकती हैं। इस तरह का विश्वसनीय पीयर-टू-पीयर (peer-to-peer) बातचीत करने, सत्यापित करने और लेन-देन करने के तरीक़े में क्रांतिकारी बदलाव ला सकता हैं।
ब्लॉकचेन की मज़बूती और स्थिरथा
ब्लॉकचेन को किसी एक इकाई द्वारा नियंत्रित नहीं किया जाता हैं, बल्कि इसे कई इकाइयों (peers) द्वारा नियंत्रित किया जाता हैं। इस पूरी ब्लॉकचेन तकनीक का मुख्य बात विश्वास पैदा करना हैं। विश्वास और जवाबदेही कैसे बनाई जाएँ यह इसका मुख्य बिंदु हैं।
बिटकोईन (Bitcoin) का आविष्कार 2008 में हुआ था। उस समय से, आज तक बिटकोईन-ब्लॉकचेन बिना किसी समस्या से सफलतापूर्वक संचालित हैं। ब्लॉकचेन वास्तव में सभी पक्षों को उच्चतम स्तर की जवाबदेही पर लाने का सबसे अच्छी तकनीक हैं।
ब्लॉकचेन प्रणाली की सबसे महत्वपूर्ण बात यह हैं कि, यह लेन-देन की वैधता की गारंटी देता हैं और यह पुरी प्रणाली एक सुरक्षित सत्यापित तंत्र से जुड़ी हुई हैं।
कैसे ब्लॉकचेन तकनीक लेखांकन प्रणाली में सुधार लाएगी
आज की लेखा प्रणाली दोहरी लेखा प्रणाली (double-entry system) पर आधारित हैं। इस प्रणाली के उपयोग से व्यवसाय के मालिक और प्रबंधक अपनी लेखा-पुस्तकों पर भरोसा कर सकते हैं। परंतु बाहरी लोगों का विश्वास हासिल करने के लिए, स्वतंत्र ऑडिटर व्यवसाय की वित्तीय जानकारी को सत्यापित करते हैं। कम्पनी के प्रत्येक ऑडिट कार्य में बहुत लागत आती हैं, और इस कार्य के लिए कम्पनी के ऑडिटर को लंबे समय के लिए बाध्य होना पड़ता हैं।
ब्लॉकचेन तकनीक भविष्य में अकाउंटिंग का अगला चरण होगा। लेन-देन प्राप्तियों के आधार पर अलग-अलग रिकोर्ड रखने के बजाय, कम्पनियाँ अपने लेन-देन को सीधे एक joint रेजिस्टर में स्टोर कर सकते हैं। चूँकि ब्लॉकचेन तकनीक से लेन-देनों को आसानी से वितरित और एंकरिपट किया जा सकता हैं, जिसे नष्ट और ग़लत साबित करना व्यावहारिक रूप से असम्भव हैं।
कम्पनियों और व्यवसायों को ब्लॉकचेन तकनीक से अलग-अलग फ़ायदे होंगे। इस तकनीक से कम्पिनयों के ऑडिट कार्य में एक स्थिरथा आएगी और सत्यापन प्रक्रिया पारदर्शी बनेगी। ऑडिट कार्यों के ख़र्चों में भी कमी आएगी, और इसी कारण से लेखा परीक्षकों और लेखाकारों के पास आंतरिक नियंत्रण प्रणाली (internal control system) पर काम करने के लिए अधिक समय मिलेगा।