भारत में रिटेल निवेशकों की संख्या बहुत कम हैं। शेयर बाज़ार और म्यूचूअल फ़ंड्ज़ में क्यक्तिगत निवेशक ज़्यादा नहीं है। रीसर्च डेटा से पता चलता है कि भारतीय आज भी अपना पैसा प्रॉपर्टी, सोना, बैंक डिपॉज़िट में रखना पसंद करते है। कुछ निवेशक बीमा पॉलिसी में बिना किसी जानकारी के एक्स्पर्ट्स॰ के चक्कर में आकर अपना पैसा गवा देते है।
यह मानना आसान है कि वित्तीय साक्षरता ऐसी मुश्किलों से बचा सकती है। लेकिन, सही में ऐसा नहीं है, ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री वर्षों तक यही मानकर संघर्ष करती रही कि अच्छी सड़कें और सुरक्षित ड्राइविंग से सड़क दुर्घटनाएं कम हो जाएंगी। लेकिन, बाद में इंडस्ट्री को समझ आया कि उसे ड्राइविंग के असुरक्षित तरीकों को ठीक करने के साथ ही बेहतर कारें भी बनानी होंगी।
हम यहां पॉलिसी और प्रोडक्शन से जुड़ी समस्याओं के समाधान नहीं खोज सकते और न ही यह मान सकते हैं कि शिक्षा से प्रत्येक चीज ठीक हो जाएगी। हम इस पर ध्यान दे सकते हैं कि इस स्थिति में निवेशक क्या कर सकते हैं?
निवेशकों को अपने पर्सनल फाइनेंस की जिम्मेदारी संभालनी चाहिए। इसके तीन प्रमुख कारण हैं।
पहला, सरकार की ओर से हमें बहुत सी चीजें उपलब्ध कराने का दौर बीत गया है। पेंशन वाली नौकरियां नहीं करने वाली एक पीढ़ी जल्द रिटायर हो जाएगी।
दूसरा, मार्केट में विक्रेताओं का दबदबा है। इनकी संख्या लगातार बढ़ रही है। इनके लुभावने वादों के जाल में फंसने से बचने के लिए निवेशकों को अपने पर्सनल फाइनेंस के फैसले खुद लेने होंगे और अधिक रिटर्न के वादों की हकीकत परखनी होगी।
तीसरा, लोन और नकदी की कमी के शुरुआती वर्षों के बाद करियर में आगे बढ़ने की चिंता सताती है। समय पर फैसले न लेने की कसक बाद में परेशान कर सकती है। कुछ कॉन्सेप्ट और आइडिया से हमें मदद मिल सकती है।
इस बारे में यह जानना आव्यशक हैं कि, पर्सनल फाइनेंस जीवन में किए जाने वाले कई फैसलों से नहीं जुड़ा है। यह जीवनभर के लिए किए जाने वाले कुछ निर्णयों के बारे में है। अगर आपका लक्ष्य वित्तीय आजादी का है तो आप इसे एक मजबूत आमदनी, नियंत्रित खर्च और एसेट जुटाने के बिना नहीं पा सकते हैं।
अगर आप निवेश के अच्छे फैसले करना चाहते हैं तो आपको एसेट एलोकेशन और डायवर्सिफिकेशन पर ध्यान देना होगा। आप अगर बिना सोचे समझे फाइनेंशियल प्रोडक्ट खरीदते रहेंगे या प्रॉपर्टी में बहुत अधिक निवेश करेंगे तो एसेट एलोकेशन और डायवर्सिफिकेशन के लिहाज से आप बड़ी गलती कर सकते हैं। आपको इसका नुकसान उठाना पड़ सकता है। ग्रोथ और इनकम के आइडिया को समझें और तय करें कि आपके जीवन के दौर के अनुसार पैसा जरूरतों को पूरा करने के लिए काफी है या नहीं। आपकी रोजमर्रा की जरूरत का खर्च आपकी आमदनी से चलना चाहिए और बाकी सभी वैल्यू में ग्रोथ के लिए इनवेस्ट होना चाहिए।
इनवेस्टमेंट के लिए मार्केट में कई प्रोडक्ट हैं। इनमें से आपको वे प्रोडक्ट चुनने होंगे जो आपकी जरूरत के अनुसार इनकम या ग्रोथ देते हैं। प्रत्येक फैसले के साथ सही चीज करने की इच्छा जुड़ होती है। फैसले के साथ आपको कुछ समझौते भी करने पड़ सकते हैं। चाहे वह लोन, क्रेडिट कार्ड की बकाया रकम हो या आईपीओ पर आपका दांव या आपकी ओर से खरीदा गया म्यूचुअल फंड हो आपको इस पर संतुष्ट होना पड़ेगा कि वह आपके लिए सही है। आपको यह भी पता होना चाहिए कि उसके साथ आपको क्या समझौता करना पड़ेगा। ये आपके वित्तीय जीवन के महत्वपूर्ण हिस्से हैं, इनकी आपको जिम्मेदारी लेनी होगी। आपको एक्सपर्ट से बेहतर सलाह मिल सकती है. लेकिन, उस पर अमल आपको ही करना होगा।
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